नई पुस्तकें >> काला पादरी काला पादरीतेजिन्दर
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
तेजिन्दर का उपन्यास ‘काला पादरी’ यथार्थ के एक अनजाने दुर्गम इलाके की अंतर्यात्रा का अनूठा और पहला प्रामाणिक उत्तर-आधुनिक साक्ष्य है। मध्यप्रदेश के गहन आदिवासी क्षेत्रों में घटित होती घटनाओं और जंगलों के पार साँस लेते जीवन का इतना विवरणात्मक, संवेदनशील और सूक्ष्म आकलन समकालीन कथा साहित्य की एक विरल उपलब्धि है। ‘काला पादरी’ की सहज वृत्तांत्मकता इस उपन्यास की वह मंद और उत्तेजक पठनीयता प्रदान करती है, जिसमें हम अपने समय के कई अनसुलझे प्रश्नों को अचानक एक आकस्मिकता के साथ किसी बेहद परिचित चेहरे में अपने सामने उपस्थित पाते हैं। बीत चुकी बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में सरगुजा के जंगली इलाके के अनजान, आदिम अंधकार में घिरे महेशपुर जैसे असंख्य भारतीय गाँवों में, इतिहास के सीमांतों के बाहर एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण परिघटना चुपचाप घटित हो रही थी।
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